Thursday, September 2, 2010

Why You Cry Why You Laugh

तुम क्यूँ रोते हो और
क्यूँ हॅसते हो.।
कहानी तो कभी बताते नहीं
अपने इस रुदन का
  अपनी इस खिलखिलाहट का
पर जो भी करते हो,अच्छे लगते हो

कभी आते हो , कभी जाते हो
 और
अपने आने जाने के इस सिलसिले को भी
एक अंजाम पहुचाना चाहते हो ।

क्या करते हो , बोलो क्या करते हो
नाव पर बैठते हो, बस पर भी बैठते हो
हवा मे भी उड़ जाते हो
प्लेन के पंख पर बैठ कर ।

तो क्या पहुचा पाते हो
 रोशनी उन सुराखो मे
जिनहे तुम भी ना देख पाते हो
ना जाने क्यूँ नहीं देखते हो
उन जज़्बातों को

जो दिन प्रतिदिन घुटती है
और मांगती है
ताज़ी हवा की एक महक

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