Friday, September 3, 2010

Love and Colour

रंग है गुलाल का
आंखो मे नशा छाया है किसी के प्यार का
दुख है
पुरानी प्रेमिका के इंकार का

दिन पड़ गयी है छोटी
राते हो गयी है लंबी
   क्यूँ
क्यूंकि सपना देखा है उसने
किसी के प्रेम के इजहार का

लड़ू भी फूटे हैं , मन मे आँधी भी आई है
ना जाने कहाँ कहाँ कौन सी तरंगो ने उठान पायी है

ज़िंदगी की राह था वो खोजने निकला
ये कमबख्त ना जाने
कहाँ कहाँ पर है फिसला

मैं भी देख रहा हूँ उसको
और कई लोग भी

आओ तुम भी ये तमाशा देखो
कुछ नहीं तो
कुछ आहें तुम भी फेकों ।

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